अल्जीरिया की राजधानी और वहां के सबसे बड़े शहर अल्जीयर्स में मौजूद जामा कतशावह मस्जिद उस्मानी दौर के दौरान 1612 में तामीर करवाई गई थी जिसे 1845 में फ़्रांस के सम्राजवादीयों द्वारा चर्च में बदल दिया गया था, जिसे वापस 1962 में अल्जीरिया की आज़ादी के बाद मस्जिद मे तबदील कर दिया गया।
ये मस्जिद मुरिश और बेंज़ेनटाईन आर्कटेक्चर का बेहतरीन नमुना है। इस मस्जिद को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
23 सीढ़ी चढ़ कर ही आप इस मस्जिद में दाख़िल हो सकते हैं और इस मस्जिद के बारे मे कहा जाता है कि इसकी तामीर इस्लामी तारीख़ के सबसे महान नौसेना कमांडरों मे से एक एडमिरल हेरीद्दीन बरबरोसा पाशा के बेटे हसन पाशा ने तामीर करवाया था ! जो उस्मानी सुल्तान की सरपरस्ती में अल्जीरिया पर हुकुमत कर रहे थे।
जब फ़्रांसीसीयों ने इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया तो इस मस्जिद को गिर्जाघर मे बदलते हुए इसका नाम “The St. Philippe Cathedral” रखा जो 1962 तक इसी नाम से जानी गई।